तू ने एक उम्र के बाद पूछा है हाल-ए-दिल
वही दर्द-ओ-ग़म वही हसरतें मिरे साथ हैं
अख्तर शुमार
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वो मुस्कुरा के कोई बात कर रहा था 'शुमार'
और उस के लफ़्ज़ भी थे चाँदनी में बिखरे हुए
अख्तर शुमार
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