जब आ रही हैं बहारें लिए पयाम-ए-जुनूँ
ये पैरहन को मिरे हाजत-ए-रफ़ू क्या थी
अकबर अली खान अर्शी जादह
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
इसी तलाश में पहुँचा हूँ इश्क़ तक तेरे
कि इस हवाले से पा जाऊँ मैं दवाम अपना
अकबर अली खान अर्शी जादह
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
हर्फ़-ए-दुश्नाम से यूँ उस ने नवाज़ा हम को
ये मलामत ही मोहब्बत का सिला हो जैसे
अकबर अली खान अर्शी जादह
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ग़म-ए-अय्याम पे यूँ ख़ुश हैं तिरे दीवाने
ग़म-ए-अय्याम भी इक तेरी अदा हो जैसे
अकबर अली खान अर्शी जादह
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
धनक की तरह निखरता है शब को ख़्वाबों में
वही जो दिन को मिरी चश्म-ए-तर में रहता है
अकबर अली खान अर्शी जादह
टैग:
| 2 लाइन शायरी |