मेरे साथ सु-ए-जुनून चल मिरे ज़ख़्म खा मिरा रक़्स कर
मेरे शेर पढ़ के मिलेगा क्या पता पढ़ के घर कोई पा सका?
अजमल सिद्दीक़ी
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ये ही हैं दिन, बाग़ी अगर बनना है बन
तुझ पर सितम किस को पता फिर हो न हो
अजमल सिद्दीक़ी
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