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कमार शायरी | शाही शायरी

कमार

2 शेर

तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है
कहाँ है किस तरह की है किधर है

आबरू शाह मुबारक




ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर
एक नदी में कितने भँवर

जाँ निसार अख़्तर