मौसम तुम्हारे साथ का जाने किधर गया
तुम आए और बौर न आया दरख़्त पर
अब्बास ताबिश
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असर ये तेरे अन्फ़ास-ए-मसीहाई का है 'अकबर'
इलाहाबाद से लंगड़ा चला लाहौर तक पहुँचा
अकबर इलाहाबादी