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वहीदा नसीम शायरी | शाही शायरी

वहीदा नसीम शेर

2 शेर

हम अजनबी हैं आज भी अपने दयार में
हर शख़्स पूछता है यही तुम यहाँ कहाँ

वहीदा नसीम




उलझी थी जिन में एक ज़माने से ज़िंदगी
क्यूँ ऐ ग़म-ए-हयात वो गेसू सँवर गए

वहीदा नसीम