हम अजनबी हैं आज भी अपने दयार में
हर शख़्स पूछता है यही तुम यहाँ कहाँ
वहीदा नसीम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
उलझी थी जिन में एक ज़माने से ज़िंदगी
क्यूँ ऐ ग़म-ए-हयात वो गेसू सँवर गए
वहीदा नसीम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |