EN اردو
वारिस किरमानी शायरी | शाही शायरी

वारिस किरमानी शेर

2 शेर

हम नींद की चादर में लिपटे हुए चलते हैं
इस भेस में अब हम से मिलना हो तो आ जाना

वारिस किरमानी




उस से यही कहता हूँ वाजिब एहतिराम-ए-इश्क़ है
अंदर से ये ख़्वाहिश है वो जैसा कहे वैसा करूँ

वारिस किरमानी