मिलती है ग़म से रूह को इक लज़्ज़त-ए-हयात
जो ग़म-नसीब है वो बड़ा ख़ुश-नसीब है
वफ़ा मलिकपुरी
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मिलती है ग़म से रूह को इक लज़्ज़त-ए-हयात
जो ग़म-नसीब है वो बड़ा ख़ुश-नसीब है
वफ़ा मलिकपुरी