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तालिब बाग़पती शायरी | शाही शायरी

तालिब बाग़पती शेर

1 शेर

यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ
ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ

तालिब बाग़पती