यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ
ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ
तालिब बाग़पती
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यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ
ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ
तालिब बाग़पती