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ताबिश कानपुरी शायरी | शाही शायरी

ताबिश कानपुरी शेर

3 शेर

हुस्न और इश्क़ दोनों में तफ़रीक़ है पर इन्हीं दोनों पे मेरा ईमान है
गर ख़ुदा रूठ जाए तो सज्दे करूँ और सनम रूठ जाए तो मैं क्या करूँ

ताबिश कानपुरी




इश्क़ ईमान दोनों में तफ़रीक़ है
पर इन्हीं दोनों पे मेरा ईमान है

ताबिश कानपुरी




तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे इश्क़ तेरा सताए तो मैं क्या करूँ
कोई इतना तो आ कर बता दे मुझे जब तिरी याद आए तो मैं क्या करूँ

ताबिश कानपुरी