EN اردو
सय्यद हामिद शायरी | शाही शायरी

सय्यद हामिद शेर

1 शेर

एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी
दर्द बे-चारा परेशाँ है कहाँ से निकले

सय्यद हामिद