हम दोज़ख़-ए-एहसास में जलते ही रहेंगे
ये फ़िक्र का हासिल है बसीरत की सज़ा है
सय्यद अहमद शमीम
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हम दोज़ख़-ए-एहसास में जलते ही रहेंगे
ये फ़िक्र का हासिल है बसीरत की सज़ा है
सय्यद अहमद शमीम