कुछ और कोई अब्र-ए-बहारी को न समझे
उड़ता है ये रूमाल मिरे दीदा-ए-तर का
सय्यद अाग़ा अली महर
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कुछ और कोई अब्र-ए-बहारी को न समझे
उड़ता है ये रूमाल मिरे दीदा-ए-तर का
सय्यद अाग़ा अली महर