माना कि हम वतन से अज़ीज़ों से दूर हैं
तहज़ीब से जुदा हैं न उर्दू ज़बाँ से दूर
सुलतान फ़ारूक़ी
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माना कि हम वतन से अज़ीज़ों से दूर हैं
तहज़ीब से जुदा हैं न उर्दू ज़बाँ से दूर
सुलतान फ़ारूक़ी