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सुलतान फ़ारूक़ी शायरी | शाही शायरी

सुलतान फ़ारूक़ी शेर

1 शेर

माना कि हम वतन से अज़ीज़ों से दूर हैं
तहज़ीब से जुदा हैं न उर्दू ज़बाँ से दूर

सुलतान फ़ारूक़ी