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शुजाअत अली राही शायरी | शाही शायरी

शुजाअत अली राही शेर

1 शेर

क़तील हो के भी मैं अपने क़ातिलों से लड़ा
कि मेरे ब'अद मिरे दोस्तों की बारी थी

शुजाअत अली राही