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शौक़ बहराइची शायरी | शाही शायरी

शौक़ बहराइची शेर

2 शेर

बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था
हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा

शौक़ बहराइची




हर मुल्क इस के आगे झुकता है एहतिरामन
हर मुल्क का है फ़ादर हिन्दोस्ताँ हमारा

शौक़ बहराइची