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शारिक़ बल्यावी शायरी | शाही शायरी

शारिक़ बल्यावी शेर

1 शेर

हर तरफ़ दावत-ए-नज़ारा है
चश्म-ए-हैराँ किधर किधर देखे

शारिक़ बल्यावी