हर तरफ़ दावत-ए-नज़ारा है
चश्म-ए-हैराँ किधर किधर देखे
शारिक़ बल्यावी
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हर तरफ़ दावत-ए-नज़ारा है
चश्म-ए-हैराँ किधर किधर देखे
शारिक़ बल्यावी