शाम को सुब्ह से ताबीर करो तुम लेकिन
आँख वाले तो सहर ही को सहर जानते हैं
शाइक़ मुज़फ़्फ़रपुरी
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शाम को सुब्ह से ताबीर करो तुम लेकिन
आँख वाले तो सहर ही को सहर जानते हैं
शाइक़ मुज़फ़्फ़रपुरी