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शाह दीन हुमायूँ शायरी | शाही शायरी

शाह दीन हुमायूँ शेर

1 शेर

तन्हा उठा लूँ मैं भी ज़रा लुत्फ़-ए-गुमरही
ऐ रहनुमा मुझे मिरी क़िस्मत पे छोड़ दे

शाह दीन हुमायूँ