तन्हा उठा लूँ मैं भी ज़रा लुत्फ़-ए-गुमरही
ऐ रहनुमा मुझे मिरी क़िस्मत पे छोड़ दे
शाह दीन हुमायूँ
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तन्हा उठा लूँ मैं भी ज़रा लुत्फ़-ए-गुमरही
ऐ रहनुमा मुझे मिरी क़िस्मत पे छोड़ दे
शाह दीन हुमायूँ