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शफ़ीक़ आज़मी शायरी | शाही शायरी

शफ़ीक़ आज़मी शेर

1 शेर

फ़ज़ा-ए-शहर बड़ी ख़ुश-गवार थी लेकिन
पलक झपकते ही कैसा अजीब मंज़र था

शफ़ीक़ आज़मी