तमाम उम्र जिसे आब-ए-तल्ख़ से सींचा
अब उस शजर का कोई फल कहाँ से मीठा हो
सय्यद सफ़ी हसन
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तमाम उम्र जिसे आब-ए-तल्ख़ से सींचा
अब उस शजर का कोई फल कहाँ से मीठा हो
सय्यद सफ़ी हसन