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सरशार बुलंदशहरी शायरी | शाही शायरी

सरशार बुलंदशहरी शेर

4 शेर

कोयल आम की डाल पे बैठी शोर मचाए
फूल आया फल आ गए इक तुम ही नहीं आए

सरशार बुलंदशहरी




रस्ते में इक पेड़ पर पंछी बोल गया
पंछी की आवाज़ से जीवन डोल गया

सरशार बुलंदशहरी




वक़्त बड़ा चालाक है वक़्त के साथ चलो
सारे दिन चलते रहियो सारी रात चलो

सरशार बुलंदशहरी




वक़्त बहुत मसरूफ़ है थोड़ा वक़्त निकाल
इक दो साअत के लिए अपना-आप सँभाल

सरशार बुलंदशहरी