आब-ए-हैराँ पर किसी का अक्स जैसे जम गया
आँख में बस एक लम्हे के लिए ठहरा ख़याल
समीना राजा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
क्या करें आँख अगर उस से सिवा चाहती है
ये जहान-ए-गुज़राँ आइना-ख़ाना ही सही
समीना राजा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
सफ़र की शाम सितारा नसीब का जागा
फिर आसमान-ए-मोहब्बत पे इक हिलाल खिला
समीना राजा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
शाएरी झूट सही इश्क़ फ़साना ही सही
ज़िंदा रहने के लिए कोई बहाना ही सही
समीना राजा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |