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सलाहुद्दीन महमूद शायरी | शाही शायरी

सलाहुद्दीन महमूद शेर

1 शेर

आवाज़ों से जिस्म हुआ नम
जैसे इक ना-बीना सा ग़म

सलाहुद्दीन महमूद