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सज्जाद बाबर शायरी | शाही शायरी

सज्जाद बाबर शेर

1 शेर

क्या जाने कब लम्हों की मफ़रूर समाअत लौटे
अच्छी अच्छी आवाज़ों के जाल बिछाते रहना

सज्जाद बाबर