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सईद इक़बाल सादी शायरी | शाही शायरी

सईद इक़बाल सादी शेर

2 शेर

नहीं हैं बोलने वाले जो चार सू अपने
हमारे कानों में ये शोर क्यूँ भरा हुआ है

सईद इक़बाल सादी




यही आदत तो है 'सादी' सुकून-ए-क़ल्ब का बाइस
मैं नफ़रत भूल जाता हूँ मोहब्बत बाँट देता हूँ

सईद इक़बाल सादी