नहीं हैं बोलने वाले जो चार सू अपने
हमारे कानों में ये शोर क्यूँ भरा हुआ है
सईद इक़बाल सादी
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यही आदत तो है 'सादी' सुकून-ए-क़ल्ब का बाइस
मैं नफ़रत भूल जाता हूँ मोहब्बत बाँट देता हूँ
सईद इक़बाल सादी
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