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सहाब क़ज़लबाश शायरी | शाही शायरी

सहाब क़ज़लबाश शेर

1 शेर

बुझ रहे हैं चराग़-ए-दैर-ओ-हरम
दिल जलाओ कि रौशनी कम है

सहाब क़ज़लबाश