निकल के जाऊँ कहाँ मैं हिसार-ए-गर्दिश से
सफ़र ने पाँव में ज़ंजीर कर लिया है मुझे
सईद ख़ान
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निकल के जाऊँ कहाँ मैं हिसार-ए-गर्दिश से
सफ़र ने पाँव में ज़ंजीर कर लिया है मुझे
सईद ख़ान