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सादिक़ नसीम शायरी | शाही शायरी

सादिक़ नसीम शेर

3 शेर

जब भी तिरी क़ुर्बत के कुछ इम्काँ नज़र आए
हम ख़ुश हुए इतने की परेशाँ नज़र आए

सादिक़ नसीम




तुम्हारा नाम किसी अजनबी के लब पर था
ज़रा सी बात थी दिल को मगर लगी है बहुत

सादिक़ नसीम




ज़िंदा रहने के थे जितने उस्लूब
ज़िंदगी कट गई तब याद आए

सादिक़ नसीम