जब भी तिरी क़ुर्बत के कुछ इम्काँ नज़र आए
हम ख़ुश हुए इतने की परेशाँ नज़र आए
सादिक़ नसीम
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तुम्हारा नाम किसी अजनबी के लब पर था
ज़रा सी बात थी दिल को मगर लगी है बहुत
सादिक़ नसीम
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ज़िंदा रहने के थे जितने उस्लूब
ज़िंदगी कट गई तब याद आए
सादिक़ नसीम
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