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साबिर रज़ा शायरी | शाही शायरी

साबिर रज़ा शेर

1 शेर

तअल्लुक़ तुम से जो भी है नहीं मालूम कल क्या हो
चलो ये फ़ैसला अपना ख़ुदा पर छोड़ देते हैं

साबिर रज़ा