तअल्लुक़ तुम से जो भी है नहीं मालूम कल क्या हो
चलो ये फ़ैसला अपना ख़ुदा पर छोड़ देते हैं
साबिर रज़ा
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तअल्लुक़ तुम से जो भी है नहीं मालूम कल क्या हो
चलो ये फ़ैसला अपना ख़ुदा पर छोड़ देते हैं
साबिर रज़ा