छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिश
ये मेरे तिरे जिस्म तो मिट्टी के बने हैं
सबा इकराम
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छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिश
ये मेरे तिरे जिस्म तो मिट्टी के बने हैं
सबा इकराम