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रज़ा नक़वी वाही शायरी | शाही शायरी

रज़ा नक़वी वाही शेर

1 शेर

है एक बात जो मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू बनती
मिले जो आप तो कम-बख़्त याद ही न रही

रज़ा नक़वी वाही