EN اردو
रासिख़ इरफ़ानी शायरी | शाही शायरी

रासिख़ इरफ़ानी शेर

3 शेर

अटा है शहर बारूदी धुएँ से
सड़क पर चंद बच्चे रो रहे हैं

रासिख़ इरफ़ानी




कितना नादिम हूँ किसी शख़्स से शिकवा कर के
मुझ से देखा न गया उस का पशेमाँ होना

रासिख़ इरफ़ानी




वो अहल-ए-कहफ़ थे जिन को ज़िया मिली आख़िर
मिरा ये दौर कि अब तक अंधेरा ग़ार में है

रासिख़ इरफ़ानी