घर भी है घर में सभी अपने भी हैं
हाँ मोहब्बत की मगर ख़्वाहिश न कर
रशीद अफ़रोज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
1 शेर
घर भी है घर में सभी अपने भी हैं
हाँ मोहब्बत की मगर ख़्वाहिश न कर
रशीद अफ़रोज़