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रफ़ीक़ संदेलवी शायरी | शाही शायरी

रफ़ीक़ संदेलवी शेर

2 शेर

डूब जाएँ न फूल की नब्ज़ें
ऐ ख़ुदा मौसमों की साँसें खोल

रफ़ीक़ संदेलवी




सूरज की तरह मौत मिरे सर पे रहेगी
मैं शाम तलक जान के ख़तरे में रहूँगा

रफ़ीक़ संदेलवी