डूब जाएँ न फूल की नब्ज़ें
ऐ ख़ुदा मौसमों की साँसें खोल
रफ़ीक़ संदेलवी
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सूरज की तरह मौत मिरे सर पे रहेगी
मैं शाम तलक जान के ख़तरे में रहूँगा
रफ़ीक़ संदेलवी
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