रूह में जिस ने ये दहशत सी मचा रक्खी है
उस की तस्वीर गुमाँ भर तो बना सकते हैं
रफ़ीक राज़
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| 2 लाइन शायरी |
तू मेरे सज्दों की लाज रख ले शुऊर-ए-सज्दा नहीं है मुझ को
ये सर तिरे आस्ताँ से पहले किसी के आगे झुका नहीं है
रफ़ीक राज़