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रफ़ीक राज़ शायरी | शाही शायरी

रफ़ीक राज़ शेर

2 शेर

रूह में जिस ने ये दहशत सी मचा रक्खी है
उस की तस्वीर गुमाँ भर तो बना सकते हैं

रफ़ीक राज़




तू मेरे सज्दों की लाज रख ले शुऊर-ए-सज्दा नहीं है मुझ को
ये सर तिरे आस्ताँ से पहले किसी के आगे झुका नहीं है

रफ़ीक राज़