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राज़ यज़दानी शायरी | शाही शायरी

राज़ यज़दानी शेर

5 शेर

अगर गुनाह के क़िस्से भी कह दिए तुझ से
गुनाहगार को यारब सवाब क्या होगा

राज़ यज़दानी




सज़ा के झेलने वाले ये सोचना है गुनाह
कोई क़ुसूर भी तुझ से कभी हुआ कि नहीं

राज़ यज़दानी




ठहर के पाँव के काटे निकालने वाले
ये होश है तो जुनूँ कामयाब क्या होगा

राज़ यज़दानी




ठहर के तलवों से काँटे निकालने वाले
ये होश है तो जुनूँ कामयाब क्या होगा

राज़ यज़दानी




वो सामने सर-ए-मंज़िल चराग़ जलते हैं
जवाब पाँव न देते तो मैं कहाँ होता

राज़ यज़दानी