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क़ाज़ी महमूद बेहरी शायरी | शाही शायरी

क़ाज़ी महमूद बेहरी शेर

2 शेर

बर-अक्स क्यूँ हुआ है ज़माने के फेर में
हैराँ है कोई दुख में किसे दस्तरस हुआ

क़ाज़ी महमूद बेहरी




यक नुक्ता नुक्ता-दाँ कूँ है काफ़ी शनास का
ऐ क़िस्सा-ख़्वाँ न बोल हिकायत क़यास का

क़ाज़ी महमूद बेहरी