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क़ासिम जलाल शायरी | शाही शायरी

क़ासिम जलाल शेर

1 शेर

सुबूत माँगते हैं वो मिरी वफ़ा का 'जलाल'
हर इक से तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ किया है जिन के लिए

क़ासिम जलाल