अफ़्सुर्दा-दिल के वास्ते क्या चाँदनी का लुत्फ़
लिपटा पड़ा है मुर्दा सा गोया कफ़न के साथ
क़द्र बिलगरामी
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अफ़्सुर्दा-दिल के वास्ते क्या चाँदनी का लुत्फ़
लिपटा पड़ा है मुर्दा सा गोया कफ़न के साथ
क़द्र बिलगरामी