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परवेज़ अख़्तर शायरी | शाही शायरी

परवेज़ अख़्तर शेर

1 शेर

सारे पत्थर नहीं होते हैं मलामत का निशाँ
वो भी पत्थर है जो मंज़िल का निशाँ देता है

परवेज़ अख़्तर