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उज़ैर रहमान शायरी | शाही शायरी

उज़ैर रहमान शेर

2 शेर

है प्यार का ये खेल कहाँ मक्र से ख़ाली
लेकिन दिल-ए-नादाँ को दिखाना नहीं आया

उज़ैर रहमान




करता रहा मैं मिन्नतें कम की न कुछ दुआ
हासिल हुआ न कुछ तो ख़ुदा बे-असर लगा

उज़ैर रहमान