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उबैदुल्लाह ख़ाँ मुब्तला शायरी | शाही शायरी

उबैदुल्लाह ख़ाँ मुब्तला शेर

3 शेर

ख़ुदा आख़िर करेगा ख़ुश मिरा दिल
मुझे अपने तवक्कुल की क़सम है

उबैदुल्लाह ख़ाँ मुब्तला




रास्ती से तुझ कूँ करना है निबाह
हाथ जो पकड़ा मिरा दहना सजन

उबैदुल्लाह ख़ाँ मुब्तला




सोहबत न रख अग़्यार सूँ बेज़ार मत कर यार कूँ
जाता रहेगा हाथ सूँ उस की निगहबानी करो

उबैदुल्लाह ख़ाँ मुब्तला