परिंदों में तो ये फ़िरक़ा-परस्ती भी नहीं देखी
कभी मंदिर पे जा बैठे कभी मस्जिद पे जा बैठे
नूर तक़ी नूर
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परिंदों में तो ये फ़िरक़ा-परस्ती भी नहीं देखी
कभी मंदिर पे जा बैठे कभी मस्जिद पे जा बैठे
नूर तक़ी नूर