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नीलमा सरवर शायरी | शाही शायरी

नीलमा सरवर शेर

2 शेर

औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम होती है
औरत अपना आप गँवाए तब भी मुजरिम होती है

नीलमा सरवर




कोई तो आए ख़िज़ाँ में पत्ते उगाने वाला
गुलों की ख़ुशबू को क़ैद करना कोई तो सीखे

नीलमा सरवर