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नज़ीर आज़ाद शायरी | शाही शायरी

नज़ीर आज़ाद शेर

5 शेर

आँख भर इश्क़ और बदन भर चाह
शुक्र लब भर गिला ज़बाँ भर था

नज़ीर आज़ाद




आबाद है इस दिल का जहाँ जिस के क़दम से
वो मुझ को पुकारे है किसी और जहाँ से

नज़ीर आज़ाद




क्या मिला जुज़ सुकूत-ए-बे-पायाँ
शोर सीने में कारवाँ भर था

नज़ीर आज़ाद




तिरा ख़याल मिरे दिल में कैसे घर करता
तिरा ख़याल मिरी वहशतों से आगे है

नज़ीर आज़ाद




तुझ में गर बारिश समुंदर के बराबर है तो क्या
मेरे अंदर भी है सहरा के बराबर तिश्नगी

नज़ीर आज़ाद