अब मैं हूँ मिरी जागती रातें हैं ख़ुदा है
या टूटते पत्तों के बिखरने की सदा है
नज़ीर अहमद नाजी
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अब मैं हूँ मिरी जागती रातें हैं ख़ुदा है
या टूटते पत्तों के बिखरने की सदा है
नज़ीर अहमद नाजी