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नज़ीर अहमद नाजी शायरी | शाही शायरी

नज़ीर अहमद नाजी शेर

1 शेर

अब मैं हूँ मिरी जागती रातें हैं ख़ुदा है
या टूटते पत्तों के बिखरने की सदा है

नज़ीर अहमद नाजी