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नवेद रज़ा शायरी | शाही शायरी

नवेद रज़ा शेर

3 शेर

दिल पर तेरी चुप से लगने वाला दाग़
ऐसा दाग़ है जिस को धो नहीं सकता मैं

नवेद रज़ा




जुदा हुए तो जुदाई में ये कमाल भी था
कि उस से राब्ता टूटा भी था बहाल भी था

नवेद रज़ा




मैं ख़ुद को दूसरों से क्या जुदा करूँ
बहुत मिला-जुला दिया गया मुझे

नवेद रज़ा