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नामी अंसारी शायरी | शाही शायरी

नामी अंसारी शेर

2 शेर

अपनी पर्वाज़ को मैं सम्त भी ख़ुद ही दूँगा
तो मुझे अपनी रिवायात का पाबंद न कर

नामी अंसारी




अपनी पर्वाज़ को मैं सम्त भी ख़ुद ही दूँगा
तू मुझे अपनी रिवायात का पाबंद न कर

नामी अंसारी