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नजमा शाहीन खोसा शायरी | शाही शायरी

नजमा शाहीन खोसा शेर

2 शेर

आख़िरी बार आया था मिलने कोई
हिज्र मुझ को मिला वस्ल की शाम में

नजमा शाहीन खोसा




दर्द की लहर में ज़िंदगी बह गई
उम्र यूँ कट गई हिज्र की शाम में

नजमा शाहीन खोसा